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#स्वदेशीचिट्ठी सहकारिता से निकलता है, गुणवत्ता वाला रोजगार!
#स्वदेशीचिट्ठी
सहकारिता से निकलता है, गुणवत्ता वाला रोजगार!
3 दिन पूर्व में जब जबलपुर में था तो वहां व्यापारियों की एक बैठक ‘इंडियन कॉफी हाउस’ में थी।जब चर्चा निकली तो उन्होंने मुझे बताया “यह इंडियन कॉफी हाउस कोई 55 साल पुराना है,यह सहकारिता के आधार पर चलता है। देशभर में 23 स्थानों पर इसके केंद्र हैं और कुल 6000 लोग इसमें कार्यरत हैं, और अच्छी सैलरी पाते हैं।काम भी मन लगाकर करते हैं।
मुझे थोड़ा आश्चर्य हुआ तो मैं वहां अंदर चला गया।वहां बैरे से बात की,भोजन बनाने वाले कर्मचारियों से की,काउंटर पर कैश गिनने वाले से की।
तभी काउंटर पर मैंने देखा की एक गुल्लक में कुछ रुपए डाले जा रहे थे।
मैंने पूछा “क्या है यह?”
तो कैशियर ने बताया कि यहां पद्धति ऐसी है कि किसी भी बैरे को कोई भी टिप देता है तो वह सीधे यहां इस गुल्लक में डाल देता है।और वह रात को यहां पर कार्यरत सभी 45 लोगों में बराबर बांट दी जाती है।”
मैंने पूछा “क्यों? ऐसा क्यों करते हैं?”
तो उन्होंने कहा “यह कोऑपरेटिव है ,कोई भी आज बैरा है तो कल को भोजनालय में हो सकता है।तो जो अंदर काम कर रहा है उसके मन में बैरा बनने और टिप हड़पने की इच्छा न हो,इसलिए यह हमने तरीका अपनाया है।”
मैंने पूछा “क्या यह सफल है?”
तो वह बोले “100% प्रतिशत सफल है और इस सोसाइटी से जो लाभ मिलता है वह भी सभी कर्मचारियों में बंट जाता है।इसलिये कर्मचारी काम भी मन लगाकर करते हैं”
कुल मिलाकर मुझे लगा कि सहकारिता के तरीके से जो काम चल रहे हैं वह अधिक गुणवत्ता वाले रोजगार पैदा कर रहे हैं,इसलिए भारत में सहकारिता को सफल बनाने का अवश्य सोचना होगा।~सतीश
नीचे:जबलपुर में1-प्रान्त प्रचारक प्रवीण जी,क्षेत्र संयोजक प्रो:राघवेंद्र चंदेल जी,2-भोपाल में कार्यकर्ता बैठक प्रारम्भ करते व इंडियन काफ़ी हाउस जबलपुर में निरीक्षण करते हुए।